“जामिया रिज़्विया अहल-ए-सुन्नत” गोरखपुर के गोला बाज़ार शहर में स्थित धार्मिक समसामयिक और आधुनिक अध्ययन का एक व्यापक शैक्षणिक संस्थान है। जहां प्रतिभाशाली शिक्षकों की देखरेख में N.C.E.R.T. के अनुसार नर्सरी से 10वीं कक्षा(माध्यमिक) तक , दर्स-ए-निज़ामी(एअदादिया से सानिया तक) तथा हिफ़्ज़-ए-कुरआन की उत्कृष्ट शिक्षा एवं प्रशिक्षण का उत्कृष्ट प्रबंधन एवं संचालन होता है।
इसके अलावा यहां स्मार्ट क्लास की भी व्यवस्था है जहां बच्चों को आधुनिक तकनीक की मदद से बेहतरीन शिक्षा और प्रशिक्षण मिलता है।
यहां अध्ययन के लिए हजारों धार्मिक और समसामयिक, पाठ्य एवं गैर-पाठ्य पुस्तकों का एक उत्कृष्ट पुस्तकालय है।
खेल-कूद के लिए पर्याप्त मैदान तथा अनेकों स्रोत उपलब्ध हैं। समय-समय पर विभिन्न खेलों की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
बच्चों की उचित शैक्षिक निगरानी एवं सुरक्षा के लिए प्रत्येक कमरे, हॉल एवं खेल-कूद के मैदान सहित मुख्य द्वार पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है।
शिक्षा के दौरान सभी बच्चों को मध्याह्न भोजन(दोपहर का भोजन) भी उपलब्ध कराया जाता है।
स्थापना एवं पृष्ठभूमि
सर्वोत्तम शिक्षा और प्रशिक्षण के मद्देनजर, वर्ष 1976 ई. में मुहसिन अहल-ए-सुन्नत हज़रत अल्लामा व मौलाना मुहम्मद इस्माईल आज़मी (अलैहिर्रहमा) के नेतृत्व में, क़स्बा गोला बाज़ार के प्रमुख लोगों ने “जामिया रिज़्विया अहल-ए-सुन्नत” नामक एक मकतब(प्राथमिक विद्यालय) की स्थापना की। उलमा-ए-किराम की कड़ी मेहनत, सम्पूर्ण समर्पण और अवाम के असाधारण ध्यान ने इसे कुछ ही वर्षों में “दारुल उलूम”(उच्च स्तरीय शिक्षा संस्थान) तक पहुंचा दिया। जिसके उपरांत उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड ने 31 जुलाई 1979 को आलिया(दसवीं कक्षा) तक की मंजूरी दे दी और चार साल बाद इसे एड्ड कर लिया। इस प्रकार प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ हिफ़्ज़-ए-कुरआन एवं दर्स-ए-निज़ामी(आलमियत) में भी उत्कृष्ट शिक्षा मिलने लगी। दूसरी ओर, निर्माण कार्य भी चलत रहा; पहले एक छोटी सी इमारत तैयार की गई लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी इसलिए दूसरी जगह जमीन खरीदकर उस पर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई, इसी तरह धीरे-धीरे प्राथमिक स्तर का एक छोटा सा मकतब “जामिया” के रूप में दिखाई देने लगा।
लक्ष्य और उद्देश्य
۞ बच्चों की उचित शिक्षा एवं प्रशिक्षण।
۞ कुरान और हदीस और धर्मशास्त्र के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान, विज्ञान एवं कला से परिचित करना।
۞ शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों के बीच यथास्थिति को ख़त्म करना।
۞ विकसित समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना।
۞ मुसलमानों का सही ढंग से प्रतिनिधित्व करना।
۞ इस्लाम धर्म का प्रचार व प्रसार करना।
۞ लोगों में पाई जाने वाली धार्मिक विद्वेष को समाप्त करना।
۞ मुसलमानों में पाए जाने वाले बेकार और अनुपयोगी रीति-रिवाजों तथा मिथकों का अंत करना।
महत्वाकांक्षाएँ एवं योजनाएँ
۞ कम्प्यूटर विभाग की स्थापना।
۞ सिलाई, बुनाई, कढ़ाई केंद्र की स्थापना।
۞ जनसमस्याओं के समाधान के लिए दारुल-इफ्ता की स्थापना।
۞ व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला (Personality Development Workshop)।
सेक्टर्स
۞ पुर्व प्राथमिक (Pre Primary) आधुनिक तकनीक के साथ स्मार्ट क्लास की सुविधा।
۞ प्राथमिक (पहली से पाँचवीं कक्षा तक)
۞ पुर्व माध्यमिक (छठी से आठवीं कक्षा तक)
۞ माध्यमिक (मुंशी/मौलवी) 9वीं, 10वीं कक्षा (मदरसा बोर्ड)
۞ स्मार्ट क्लास (स्मार्ट टीवी द्वारा शिक्षण प्रशिक्षण)
۞ हिफ़्ज़-ए-कुरआन
۞ दर्स-ए-निज़ामी (एअदादिया से स़ानिया तक)